100 साल बीत गए पर जलियांवाला बाग पर ब्रिटेन ने अब तक नही मांगी माफ़ी!!
भारत जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी मना रहा है | बावजूद ब्रिटेन माफी मांगने को तैयार नही। ब्रिटिश शासन के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने रॉलेट एक्ट का विरोध कर रहे निहत्थे लोगों पर 13 अप्रैल 1919 को अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं। जलियांवाला बाग के इस गोलीकांड में सैंकड़ों लोग मारे गए थे | ब्रिटेन खुद मानता है कि इस हत्याकांड में 400 लोग मारे गए थे। वहीं भारत का मानना है कि इस हत्याकांड में 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे | वैसाखी के दिन जनरल डायर के आदेश पर गोलियां चलाई गई थीं | लेकिन ब्रिटेन ने जलियांवाला बाग जनसंहार के लिए फिर माफी नहीं मांगी है |
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री “टेरेसा मे” ने सिर्फ अफसोस जाहिर किया है| इससे पहले भी प्रधानमंत्री टेरेसा मे ने ब्रिटिश संसद में 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार पर दुख जताते हुए इसे ब्रिटेन-भारत इतिहास का शर्मनाक धब्बा बताया था | ब्रिटेन संसद में बोलते हुए पीएम टेरेसा मे ने कहा था कि हमें अफसोस है जो कुछ हुआ और जिसकी वजह से लोगों को त्रासदी का सामना करना पड़ा| लेकिन उन्होंने इस पर माफ़ी नहीं मांगी थी | ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने कहा, ‘उस दिन जो कुछ हुआ उसके बारे में जो भी सुनेगा, वह गहरे दुख में डूब जाएगा | 100 साल पहले एक बगीचे में जुटे लोगों के साथ जो हुआ उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है|’ थेरेसा मे ने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री एचएच सक्विथ ने एक बार कहा था कि हमारे पूरे इतिहास की यह सबसे वीभत्स घटना है| गौरतलब है कि ब्रिटिश सांसद और सिख समुदाय जलियांवाला बाग जनसंहार कांड के लिए इंग्लैंड से औपचारिक तौर पर माफी मांगने की लंबे समय से मांग करता रहा है| इन समूहों ने इस घटना के 100 साल पूरे होने के अवसर पर फिर से ब्रिटेन से माफी मांगने की मांग की है|
माफी की मांग केवल भारतीयों द्वारा ही नहीं की जा रही है बल्कि ब्रिटेन के सांसद और यहां तक की पाकिस्तान भी इसकी मांग कर रहा है। तो आखिर ब्रिटेन को माफी मांगने से दिक्कत क्यों है? हालांकि भारतीयों ने अभी तक जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए वित्तीय मुआवजे की मांग नहीं की है। बता दें ब्रिटिश सरकार ने “माउ माउ विद्रोह” के समय 5,228 केन्या पीड़ितो को साल 2013 में 20 मिलियन पाउंड (181.65 करोड़ रुपये) का मुआवजा दिया था, जिससे वह आज भी उबर नहीं पाई है। हालांकि इस घटना के लिए भी ब्रिटिश सरकार ने अब तक माफी नहीं मांगी है। इसलिए अगर ब्रिटेन जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए माफी मांगता है तो अकेले भारत के लिए एक डॉजियर तैयार करना पड़ सकता है जिसमें बंगाल का अकाल भी शामिल होगा। इसमें दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश सैनिकों को खाना खिलाने के लिए भारत के अन्न भंडार को नष्ट कर 4 मिलियन लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया था।