हाथरस नार्को टेस्ट निर्णय सुप्रीम कोर्ट आदेश के खिलाफ, जनहित याचिका में रखे जाएंगे तथ्य
लखनऊ। एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने हाथरस प्रकरण में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पीड़ित के परिवार सहित सभी स्टेकहोल्डर पर नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट कराये जाने के आदेश को पूरी तरह अवैधानिक बताया है। उन्होंने इस प्रकरण में लम्बित जनहित याचिका में हाई कोर्ट के सामने सम्बन्धित तथ्य को रखने की बात कही है।
नूतन ने शनिवार को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सेल्वी एवं अन्य बनाम कर्नाटक राज्य में यह आदेश दिया था कि किसी भी व्यक्ति को जबरन इनमें से किसी भी तकनीकी से गुजरने को बाध्य नहीं किया जाएगा, चाहे वह आपराधिक मुकदमा हो या कोई अन्य मामला। किसी व्यक्ति की सहमति के बिना ऐसे टेस्ट कराना उस व्यक्ति की निजता के मौलिक अधिकार का हनन होगा। मात्र सम्बन्धित व्यक्ति की स्वैच्छिक सहमति से यह टेस्ट करवाया जा सकता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किये हैं।
नूतन ने कहा कि इस स्पष्ट विधिक व्यवस्था के बाद भी एकतरफा इस प्रकार के आदेश देने से साफ दिखता है कि उत्तर प्रदेश सरकार कानून के परे काम कर रही है और सरकार में बैठे लोगों का देश की संवैधानिक व्यवस्था में कोई विश्वास नहीं है। नूतन ने कहा कि यह स्थिति दुभाग्यपूर्ण है, वे उस तथ्य को इस प्रकरण में लम्बित जनहित याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने रखेंगी।