सिद्धार्थनगर में मुक्तिधामों के नाम पर हो रहा है घोटाला
सिद्धार्थनगर जिले में बने मुक्तिधामो का निर्माण शमशान घाटों पर अंत्येष्ठि के समय आने वाले लोगो को बैठने के लिये कराया जाता है लेकिन इन मुक्तिधामो से कही न कही घोटालों की बड़ी फेहरिस्त भी लिखी जाती है।
जिले के बाँसी नगरपालिका द्वारा पालिका क्षेत्र में पड़ने वाली राप्ती नदी के तट पर शमशान घाट पर एक मुक्तिध शिलान्यास 2007 हुआ उसके बाद 2016 से ही ये मुक्ति धाम बन रहा है।इसके निर्माण में अबतक लाखो रुपया भी खर्च किया गया है.
नगरपालिका द्वारा लेकिन लाखो खर्च करने के बाद भी 2021 तक इस मुक्तिधाम का निर्माण कार्य पूरा नही हआ।मुक्ति धाम में लगे शेड से कई सीमेंटेड स्लैब के गायब है तो कई टूट गये है।गेट अधूरा पड़ा है सिर्फ सरिए का ढांचा ही गेट के नाम पर दिख रहा है। दो कमरों का भी निर्माण किया गया है उसमे एक कमरे को देखकर ऐसा लगता है जैसे इसका निर्माण शराब अड्डे के लिए इस मुक्तिधाम में हो रहा है इस कमरे में बीयर,अंग्रेजी शराब की बोतलों के साथ देशी शराब की बोतले पड़ी है।
अंतेष्टि के समय यहां आने वाले लोग इसके नीचे खड़े होने से कतराते है इसका मुख्य कारण ये है कि कही कोई घटना गाजियाबाद की तरह यहां भी न हो जाये। नगरपालिका के सभासद भी इस मुक्ति धाम को घोटाले का मुक्ति धाम बता रहे है।सभासद कह रहे है कि 2007 में शिलान्यास होने के बाद 2016 से इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ जो अब तक पूरा न हो सका।क्या ये बड़े घोटाले की तैयारी का नतीजा है।लाखो रुपया खर्च किया गया है अब इस मुक्ति धाम के निर्माण में लेकिन इसके हालात देखकर ऐसा लगता है कि जो भी ख़र्च हुआ है वो अबतक सिर्फ कागजों में ही है। जिले के आलाधिकारी तथा सभासद भी इसकी जांच कराने की मांग रहे है।
वही गाजियाबाद की घटना के बाद उपजिलाधिकारी बाँसी जग प्रवेश ने भी इस मुक्ति धाम का निरीक्षण किया है और इसके हालात को देखकर जिम्मेदारों को फटकार भी लगायी है।उपजिलाधिकारी ने बताया कि सीमेंट के टूटे स्लैब को बदलवाने व अधूरे पड़े काम को जल्द से जल्द पूरा कराने का निर्देश उन्होंने दिया है। अब ऐसे में सवाल ये है कि क्या गाजियाबाद की घटना का इंतजार जिले के जिम्मेदार अधिकारी कर रहे थे जो अब तक ये अधूरा मुक्तिधाम इन लोगो को नही दिखाई पड़ा और करोड़ो खर्च होता रहा इस मुक्ति धाम के नाम पर और मुक्ति धाम अधूरा ही रह गया। देखना होगा कि गाजियाबाद में हुये घटना के बाद क्या इस मुक्ति धाम की जाँच होकर मानक के अनुसार निर्माण कार्य पूरा कराया जाता है या ऐसे ही जर्जर हाल में बिना बने ही ये मुक्तिधाम धराशायी हो जायेगा