शुरू हुआ संग्राम , सामने है चौथे चरण का मैदान।

पश्चिमी यूपी से शुरू हुआ 2022 का चुनावी समर अब मध्य के मैदान में आज पहुंचा है जहां भगवान राम की जन्मभूमि

  • पश्चिमी यूपी से शुरू हुआ 2022 का चुनावी समर अब मध्य के मैदान में आज पहुंचा है जहां भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या की वह धारा जिसने प्रदेश की ही नहीं देश की राजनीति की दिशा बदली हो धर्मनिरपेक्षता के नारी को नेपत्य में पहुंचा दिया हिंदुत्व को राजनीति के केंद्र में ला दिया गंगा जमुना के किनारे से घाघरा व सरयू नदी तक फैला यह मैदान जातियों से लेकर बोली भाषा परंपराओं एवं सियासी रुझानों में तमाम विविधताओं को समेटे सामने आता रहा जहां बुंदेले हरबोलों की जुबानी रानी लक्ष्मी की वीरता है तो चंबल के पानी की छुप-छुप के साथ बीहड़ में दशकों तक बरसती रही गोलियों की कहानी भी है तमाम राजनीतिक दलों के उदय और अस्त का गवाह रहे बुंदेलखंड से शुरू होकर अवध एवं अमेठी यानी बसवारी तक फैली इस धरती के लोगों का रुझान और उससे निकल निकले परिणाम प्रदेश का राजनीतिक भविष्य तय करते हैं जिसने इस मैदान को मार लिया विरोधियों को गिरा लिया उसने ही उत्तर प्रदेश की सत्ता पर कब्जा कर लिया तीसरे चरण के साथ छोड़ रही है इस मैदान की लड़ाई छठे चरण तक चलेगी वर्ष 2017 के संग्राम में भाजपा ने इस मैदान की 137 सीटों में से 116 पर झंडा फहराया था उससे पहले 2012 में सपा ने इसमें 95 सीटें जीतकर सरकार बनाने का रास्ता मजबूत किया था इन सीटों पर हाथी तेजी से अन्य दलों का तंबू उखाड़ने में कामयाब रहा यह मैदान सिर्फ विधानसभा की सबसे ज्यादा सीटें होने के कारण ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि जाति से लेकर धार्मिक विविधताओं की खूबियों के कारण भी खास है इस कारण यहां एक जगह की सियासी हवा के रुख से पूरे इलाके की सियासत की दिशा का अनुमान लगाना बड़े सियासी पंडितों एवं समाज शास्त्रियों के लिए हमेशा टेढ़ी खीर रहा है बुंदेलखंड सहित मध्य के इस मैदान में सबसे ज्यादा सुरक्षित सीटें हैं प्रदेश की विधानसभा की कुल 403 सीटों में से 50 ही सुरक्षित हैं जिसमें बुंदेलखंड की 19 में 5 सीटें को मिलाकर 35 सुरक्षित सीटों मध्य उत्तर प्रदेश की इस मैदान पर है यह सीटें इस इलाके में दलित मतदाताओं के प्रभाव को बखूबी बताती हैं यही वजह है की उत्तर प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करने का संदेश इस बार यहां से दिखाई दे रहा है यही नहीं देश की सियासत में दबदबा रखने वाला सियासी घराना यानी मुलायम सिंह यादव का परिवार भी इस बार मैदान में है

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