Mahrashtra चुनाव: ‘अब नहीं चलेगा वोट जिहाद’, मोदी को हटाना था मकसद
Mahrashtra पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में एनडीटीवी से बातचीत में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव में 'वोट जिहाद' के प्रभाव पर चर्चा की।
Mahrashtra पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में एनडीटीवी से बातचीत में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव में ‘वोट जिहाद’ के प्रभाव पर चर्चा की। उनके अनुसार, यह एक प्रमुख कारक था, जिसने भाजपा को नुकसान पहुंचाया।
महाराष्ट्र वोट जिहाद का आरोप
फडणवीस ने कहा, “लोकसभा चुनाव में वोट जिहाद ही असली कारक था। एक खास समुदाय के लोगों ने भाजपा के खिलाफ वोट दिया। इसका उद्देश्य मोदी को हटाना था।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार वे ऐसे प्रयासों को सफल नहीं होने देंगे। यह बयान भाजपा के चुनावी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अगले चुनावों के लिए स्पष्ट संदेश देता है।
शिवसेना यूबीटी का पलटवार
फडणवीस के बयान पर शिवसेना यूबीटी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना के नेताओं ने फडणवीस के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह असत्य है। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा ‘वोट जिहाद’ का आरोप लगाना केवल एक राजनीतिक रणनीति है, जिससे वे अपनी असफलताओं को छुपाना चाहते हैं।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
वोट जिहाद का शब्द 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चर्चा में आया था, जब सपा नेता मारिया आलम खां ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से मतदान में सक्रियता की अपील की थी। उन्होंने कहा था, “हर महिला, हर पुरुष वोट जिहाद से संविधान बचाने को वोट जिहाद की जंग को लड़ेगा।” इस तरह के बयानों ने चुनावी माहौल को और भी गर्म कर दिया था।
आगामी चुनावों का प्रभाव
फडणवीस का यह बयान आगामी चुनावों के लिए भाजपा की रणनीति को स्पष्ट करता है। वे चाहते हैं कि पार्टी अपने मतदाताओं को जागरूक करे और किसी भी प्रकार के वोट बैंक राजनीति का सामना करने के लिए तैयार रहे। यह भाजपा के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि उन्हें अपने पिछले प्रदर्शन को सुधारना होगा।
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देवेंद्र फडणवीस का बयान इस बात का संकेत है कि आगामी चुनावों में धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दे फिर से प्रमुखता पा सकते हैं। शिवसेना यूबीटी और अन्य विपक्षी दलों के साथ होने वाली राजनीतिक टकराव की संभावना इस बार भी बनी रहेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी माहौल में कैसे बदलाव आते हैं और भाजपा इस बार अपनी रणनीति को किस प्रकार अमल में लाएगी।