दिल्ली हाई कोर्ट ने मास्क की अनिवार्यता को लेकर केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से मंगा जवाब
कोरोना काल में हो रहे चुनाव में जिस तरह से कोरोना गाइड लाइन्स की धज्जियाँ उड़ रही है, उसको देख कर किसको दोष दिया जाए ये कहना मुश्किल है. देश में हर दिन जहां लाखों की संख्या में मामले सामने आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ चुनावी रैलियों में इसका कोई असर नही दिख रहा. पोलिटिकल पार्टियों के कार्यकर्ता हों या देश के प्रधान मंत्री, कोरोना की चिंता किसी को भी नही है. पश्चिम बंगाल समेत 5 राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान बिना मास्क के दिखे लोगों को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस भेजा है।
उच्च न्यायालय ने चुनाव प्रचार के दौरान भी मास्क की अनिवार्यता को लेकर जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि आखिर चुनाव प्रचार के दौरान लोग बिना मास्क के क्यों दिख रहे हैं। याचिका में मांग की गई थी चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट, मोबाइल ऐप्स, अन्य प्लेटफॉर्म्स और सामग्री पर चुनाव के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इसके अलावा चुनाव आयोग को डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए चुनाव में कोविड-19 प्रोटोकॉल के बारे में जागरूकता फैलाने का आदेश देने की भी मांग की गई है।
यह अर्जी थिंक टैंक सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी ऐंड सिस्टेमेटिक चेंज के चेयरमैन विक्रम सिंह की ओर से दायर की गई थी। विक्रम सिंह यूपी पुलिस के डीजीपी रहे हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल के अलावा असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में भी चुनाव हो रहा है। 4 राज्यों में मतदान हो चुका है, जबकि पश्चिम बंगाल में 10 अप्रैल को चौथे चरण की वोटिंग होनी है। राज्य में कुल 8 चरणों में मतदान होना है। विक्रम सिंह ने अपनी अर्जी में मांग की थी कि कोरोना के तमाम नियमों को ताक पर रखते हुए चुनाव प्रचार का काम जोरों पर है।
इस अर्जी में कहा गया था कि एक तरफ देश में कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है तो वहीं पश्चिम बंगाल और असम में रोड शो और रैलियां निकाली जा रही हैं। इसके साथ ही अर्जी में आम लोगों के खिलाफ गाइडलाइंस को सख्ती से लागू करने और राजनेताओं को छूट होने का मुद्दा भी उठाया गया था। विक्रम सिंह ने अर्जी में कहा था कि आम लोगों और नेताओं के बीच यह अंतर करना संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना के खिलाफ है।
हालांकि देश में कोरोना को लेकर सभी नियमों को सख्ती से पालन करने का आदेश है. लेकिन चुनावी राज्यों में इसका कोई असर नही दिख रहा है. चुनावी रैलियां हो या जन सभा सभी अपने निर्धारित तरीकों से ही हो रहा है. अब आने वाला दिन ही ये तय करेंगा की भारत कोरोना से खुद को बचा पता है या नही.