कैसे बचेगा गठबंधन??..

अखिलेश यादव को एहसास हो गया है कि कांग्रेस सपा बसपा गठबंधन का वोट काट रही है और अब ये नाराजगी उनकी बातों में भी झलकने लगी है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस को सबसे बड़ी धोखेबाज पार्टी कह कर भाजपा की जड़ों में खाद्य-पानी दे दिया है. सपा का ये बयान साफ तौर पर मतदाताओं को सचेत कर रहा है कि गैर एनडीए दलों के बीच सामंजस्य के बजाय आपस में तलवारें खिची हैं. इन पर कैसे भरोसा करें? ये आपस में मिल कर कैसे सरकार बनायेंगे? चलिए थोड़ी देर के लिए कल्पना कर लीजिए भाजपा विरोधी ताकतें जोड़-तोड़ कर सरकार बना भी लें तो सरकार कितने दिनों तक चलेगी?

जिसे हम सोच समझ कर अनुभव के आधार पर दिल की गहराइयों से धोखेबाज कह रहे हैं उनपर हम विश्वास नहीं कर सकते. और यदि धोखेबाज जानकर भी सत्ता मोह में विश्वास करके ऐसी पार्टी के साथ सरकार बनाते हैं तो ये देश के साथ धोखा नहीं होगा? लोकतंत्र के साथ धोखा नहीं होगा? साझा सरकार में जब आपस में तलवारें खिच जायें, गेस्ट हाउस जैसा कोई कांड हो जाये और सरकार गिर जाये तो किसका सबसे बड़ा नुकसान होगा. देश का ही तो नुकसान होगा. फिर से चुनाव होगा. चुनाव में करोड़ों-अरबों का खर्च होगा. मंहगाई बढ़ेगी और देश की गरीब और आम जनता को मंहगाई की मार झेलनी पड़ेगी.

दुनिया का कोई भी विश्लेषक इस बात का अनुमान नहीं लगा रहा है कि कांग्रेस खुद अपने बूते पर बहुमत के करीब भी पंहुच सकती है. यूपीए और पश्चिम बंगाल व यूपी का सपा-बसपा गठबंधन अगर कुछ बेहतर नतीजे ले भी आये तो ये मिलकर ही सरकार बनाने की कोशिश करेंगे.

चलिये कल्पना कर लीजिए कि यूपीए के साथ सपा बसपा गठबंधन, तृणमूल, इत्यादि टूटी फूटी सरकार बना भी लें तो सरकार ज्यादा दिन तक इसलिए नहीं चल सकती क्योंकि इनकी आपसी रिश्ते बेहद खराब हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कांग्रेस पर विशवास नहीं करतीं. दोनों में समय समय पर टकराव होता रहा है. भाजपा विरोधी दलों में सबसे मजबूत सपा-बसपा के दोनों मुखिया मायावती और अखिलेश यादव कांग्रेस पर हमले कर रहे हैं.

 

कांगेस को धोखेबाज और भ्रष्टाचारी कह रहे हैं. कांग्रेस सरकार में मंहगाई बढ़ी. कांगेस ने सत्ता की ताकत का दुरूपयोग कर, संविधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग कर अपने राजनीति विरोधियों को फंसाने की कोशिश की. ऐसे आरोप सपा-बसपा के दोनों मुखिया कांग्रेस पर लगा रहे हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दो बार प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कांगेस के लखनऊ प्रत्याशी की पर्चा भरने की तस्वीर में वो शख्स सबसे आगे है जिसने उनके और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के खिचाव पीआईएल दाखिल की.

यही नहीं अखिलेश यादव इतने तनाव में दिख रहे हैं कि वो पत्रकारों पर बरसने लगते हैं. सपा मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष की प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को आमंत्रित किया जाता है. अखिलेश यादव सपा मुख्यालय में ही बैठे थे पर वो कांफ्रेंस हॉल में डेढ़ घंटा देर से तशरीफ़ लाये. और आते ही पत्रकारों के सामान्य सवालों पर क्रोधित हो गये. कभी उन्होंने पत्रकारों को कांग्रेस का भेजा हुआ आदमी बताया तो कभी कहा कि तुम्हारी हैसियत नहीं कि तुम भाजपा से सवाल कर सको….

नवेद शिकोह….

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