किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा के थे पहले से प्लान! पढ़े रिपोर्ट…
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गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर रैली (Tractor rally) के दौरान हुई हिंसा को पहले से ही नियोजित माना जा रहा है। जिस स्तर पर हुड़दंगी दिल्ली के अलग-अलग स्थानों में पहुंचे और दूसरी ओर एक शांतिपूर्ण रैली हुई। वहीं समय से पहले ही रैली को शुरू कर देना, बैरिकेडिंग को तोड़ना और तय रूट से न जाकर अलग-अलग रास्तों से बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए आगे बढ़ने की जो किसानों की रणनीति थी उसे देखते हुए ये हिंसा पूर्व नियोजित लग रही है।
सिंघु बार्डर से दिल्ली में घुसकर उपद्रव मचाना किसानों की योजना में पहले से ही शामिल था। अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए किसानों ने सुबह साढ़े छह बजे पुलिस द्वारा लगाए गए मिट्टी से भरे कंटेनरों को रस्सी से हटा कर बेरिकेटस क्षतिग्रस्त करने शुरू कर दिए थे। किसानों का यह प्री प्लान था। जिसे बीती रात आखिरी रूप दिया गया था।
सिंघू से बॉर्डर सौ से दो सौ मीटर की दूरी पर पुलिस ने पांच स्थानों पर पत्थरों के बेरिकेटस लगाए थे। लेकिन पुलिस के सामने नारेबाजी करते हुए उपद्रवियों ने बेरिकेडस हटाए व उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया था। उपद्रवियों के पास पहले से ही हथियार पहुंच गए थे। उनके झंडों में डंडे लगे हुए थे। इसके अलावा उनकी कोशिश थी कि वे प्लास्टिक की कैनों में भरकर लाए गए डीजल का सही समय आने पर इस्तेमाल करें।
सिंघू बॉर्डर पर एक हजार से ज्यादा वीडियो क्लिप पुलिस ने इकट्ठा की
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुबह से शाम तक चली इस परेड की उनके पास एक हजार से ज्यादा क्लिप हैं। जिसमें साफ तौर पर देखा जा रहा है कि उपद्रवी किस तरह से सरकारी सामान और पुलिस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। अब पुलिस एफआईआर दर्ज करके इनकी पहचान करने की कोशिश करेगी। मुकरबा चौक पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उनकी प्राथमिकता किसी तरह से इस परेड को निकलवाना था। जिसके लिए पुलिस फोर्स ने धैर्य का परिचय जरूर दिया है।
कुछ उपद्रव कर रहेे थे तो कुछ उनको मनाने की कोशिश
संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर के पास आंदोलकारी किसानों ने कई जगह बेरिकेडस तोडऩे की कोशिश की। उसी वक्त किसानों के वॉलिंटियर ऐसे लोगों को रोकने की भी कोशिश कर रहे थे। वह हाथ जोड़कर उनको वहां से हटा रहे थे। लेकिन उपद्रवी उन्हें भी धमकाने से पीछे नहीं हट रहे थे।
सिंघू बॉर्डर पर इंटेलिजेंस ने जो कहा वहीं हुआ
सिंघू बॉर्डर पर किसान आंदोलन में जितनी भी सुरक्षा एजेंसियां लगी हुई थी। उनको इस उपद्रव का पहले से ही विश्वास था। जिसके बारे में उन्होंने पहले से ही संबंधित विभागों को जानकारियां भी दे दी थी। उन्होंने यहां तक बता दिया था कि फॉर्स काफी कम पड़ेगी,अगर पुलिस बल प्रयोग करती है। तो काफी ४यादा लोगों के घायल होने और मरने की आशंका है। इसके अलावा विभाग को परेड में आने वाले हथियार आदी के बारे में बताया गया था। लेकिन इंटेलिजेंस की जानकारियों को शायद अनदेखा कर दिया गया था। जबकि पुलिस आम लोगों की तरह सड़क पर खड़ी होकर परेड को ही देख रही थी।