चिराग पासवान ने यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर किया बड़ा फैसला, जानिए क्या
चिराग पासवान वाली लोक जनशक्ति पार्टी ने अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का किया फैसला
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी की बुरी तरह हार हुई। वही चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी दो भागो में हो गई। चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच लोजपा दो भागों में बंट गई। इसके बाद से दोनों पार्टियों ही शुस्त पड़ गई थी। वहीं उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव मेें चिराग पासवान वाली लोक जनशक्ति पार्टी ने अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
जानकारी के मुताबिक पार्टी के बिहार प्रदेश प्रवक्ता चंदन सिंह ने बताया कि यूपी चुनाव को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नई दिल्ली में यूपी के प्रदेश अध्यक्ष मणिशंकर पाण्डेय, प्रदेश की कार्यकारिणी के सदस्य, तमाम जिलाध्यक्ष एवं पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया। इस मीटिंग में प्रदेश के सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की आम सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया कि बिना गठबंधन अकेले ही पार्टी चुनाव के मैदान में उतरेगी।
यूपी में चिराग के निशाने पर भाजपा
प्रदेश प्रवक्ता ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में पार्टी का संगठनात्मक ढांचा काफी मजबूत है। वहां पिछले विधानसभा में पार्टी के आधा दर्जन विधायक थे। दूसरी ओर यह भी माना जा रहा है कि बिहार में भले ही चिराग के निशाने पर भाजपा की जगह नीतीश कुमार और उनकी जदयू थी, लेकिन यूपी में चिराग के निशाने पर भाजपा होगी। पिछले दिनों बरेली दौरे पर गए चिराग ने विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियों के बारे में बताते हुए केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार पर भी निशाना साधा था।
धर्म और जाति के आधार पर आज भी भेदभाव
चिराग पासवान ने तब कहा था कि शिक्षा और रोजगार के मामले में उत्तर प्रदेश पीछे है. यहां के युवाओं को बाहर जाना पड़ता है और बाहर उनको बेइज्जत भी होना पड़ता है। धर्म और जाति के आधार पर आज भी भेदभाव हो रहा है। चिराग पासवान का कहना है कि यूपी चुनाव के विजन डॉक्यूमेंट में ये मुद्दे रहेंगे।
लोजपा को केवल बेगूसराय की मटिहानी सीट
गौरतलब हैं कि एलजेपी ने बिहार विधानसभा का चुनाव भी अकेले ही लड़ा था। चुनाव से ठीक पहले वह एनडीए से अलग हो गए थे। इसका परिणाम रहा कि लोजपा को केवल बेगूसराय की मटिहानी सीट पर ही जीत मिली थी। उनके एकमात्र विधायक ने भी बाद में जेडीयू जॉइन कर विधानसभा में पार्टी का विलय ही करा दिया था।